घंटी का घुनकना
धड़कनें बहकना,
मुखड़े की लालिमा,
कि सुनते हैं उनसे बात हुई है …
इन पत्तों का रंग हरा तो नही है .
सुनहरा लगे है ..
गालन का रंग गुलाबी तो नही था ..
कहीं से चुरा लगे है ..
दो टूक बतियों से मन भरा तो नही है
मन भरभरा लगे है ……
फ़िर से .
घंटी का घुनकना ..
अँखियों का चहकना ..
ओठों का थिरकना
कि सुनते हैं फ़िर कुछ बात हुई है
ये क्या दिवा सपने और वो कंचनपुर
कंचन झुमके
कंचन बाली
कंचन नथुनी
कंचन हरेवा
कंचनपुर के ये कंचन नुपुर
भ्रम से ..
घंटी का घुनकना ..
नहीं-रे , ये तो कंगना
सांसों का महकना
के सुनते हैं उनसे बात हुई है
शुक्रवार, 21 नवंबर 2008
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